पुस्तक:ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम समीक्षक: मो. मेराज मिसबाही

RaushanKumar
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पुस्तक:ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम समीक्षक

Muzaffarpur Live News: ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम का 50 प्रतिशत भी अनुसरण कर लें पाठक तो कामयाबी उसके कदमों तले होगी

पुस्तक:ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम

समीक्षक: मो. मेराज मिसबाही

सुबह सवेरे अपने प्रिय मित्र छोटू कुमार से अपने मोटर बाइक पर सवार होकर हरे भरे खेतों, स्वादिष्ट फल देने वाले वृक्षों, कड़ी धूप से बचाने वाले पेड़ पौधों और बचपन की याद दिलाने वाली छोटी-छोटी बस्तियों से गुजरते हुए घर की ओर आ ही रहे थे कि रास्ते में मन की इच्छाओं ने अंगड़ाई ली कि आज अपने इलाके के शिक्षकों और बच्चों के भविष्य को उज्जवल करने वाले गुरु जी जनों का दर्शन किया जाए और उनसे दो बातें करने का सौभाग्य प्राप्त किया जाए।

 

 

 

पुस्तक:ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम समीक्षक
पुस्तक:ज़िंदगी से जंग जीतेंगे हम समीक्षक

 

सब शिक्षकों से मिलते हुए हम लोग आखिर में एक ऐसे व्यक्ति से मिले जिनके व्यवहार में सादगी, विचारों में विनम्रता, बातों में मिठास, दिल में समाज के प्रति हमदर्दी और आंखों में सफलता प्राप्त करने की चमक थी। जो अब तक दो किताबों में अपनी उत्तम विचारधारा को पाठकों के सामने परोस चुके हैं, जिन्हें कई सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इतनी बातें सुनकर आपको लगे कि मैं कोई ऐसे व्यक्ति के बारे में बात कर रहा हूं जो की पूरी दुनिया का मुआयना करके बैठे होंगे, जो अपनी जवानी को अलविदा कह के बुढ़ापे को गले लगाने जा रहे होंगे, लेकिन आप उनकी उम्र सुनेंगे तो चकित रह जाएंगे क्योंकि उनकी उम्र महज़ 24 साल है। इतनी कम उम्र में इतना प्रेरणात्मक विचार शुद्ध और सरल लिखने का कौशल यकीनन ईश्वर की कृपा, माता-पिता के आशीर्वाद और कड़ी परिश्रम के बाद ही मुमकिन हुआ है। उनकी एक किताब बनाम “जिंदगी से जंग जीतेंगे” हम अध्ययन करने का सौभाग्य हुआ।

यूं तो मेरी जिंदगी इंस्टाग्राम जैसे समय का दुरुपयोग करने वाले प्लेटफार्म से कहीं दूर किताब और किताब से दोस्ती रखने वालों के बीच एक अलग दुनिया में गुजरी, लेकिन एक युवा लेखक की ऐसी पुस्तक जिसको पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक सिर्फ लोगों को खासकर युवाओं को प्रेरित करने के लिए अनमोल विचारधारा से सजाया गया हो मेरी नजरों से नहीं गुजरी है।

अगर कोई व्यक्ति इस पुस्तक के 50 प्रतिशत भी अनुसरण कर ले तो कामयाबी उसके कदमों तले होगी। माता-पिता के हृदय में हमारे प्रति जो प्रेम, लाग और श्रम होता है वह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन इसके पश्चात भी कुछ दुष्ट लोग अपने माता-पिता के उपकार को भुला देते हैं और उनको वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं ऐसे लोगों को इस किताब से प्रेरणा लेना चाहिए साथ ही यह पुस्तक उन लोगों के लिए भी प्रेरणादायक है जो बड़ों का आदर नहीं करते हैं।

यह पुस्तक जहां इस दुनिया के रचयिता ईश्वर के गुणगान करना सिखाती है वहीं अन्न दाता किसानों के बलिदान का भी तज़किरा करती है, यह पुस्तक जहां लेखकों का मनोबल बढ़ाती है वहीं सीखने वालों को भी उत्साह और उल्लास से भर देती है, यह पुस्तक जहां गुरु जी की अहमियत बताती है वहीं विद्यार्थी को भी सही राह दिखाती नज़र आती है, जहां रिश्तेदार से शिष्टाचार करने का सबक देती है वहीं दोस्त की कीमत से भी ज्ञात कराती है, जहां पुस्तक से मित्रता का श्लोक पढ़ाती है वहीं समय के दुरुपयोग का भयावह नतीजा भी बताती है, जहां जवान सेना की प्रशंसा करती है वहीं डॉक्टरों के लिए भी मीठे बोल बोलती है, जहां गरीबों और असहाय की मदद करने पर उत्साहित करती है वहीं कमजोरों और बुजुर्गों का सहारा देने का पाठ पढ़ती है, यह पुस्तक जहां प्रतिकूल स्थिति में भी हार न मानने की साहस प्रदान करती है वहीं जीवन को उम्मीद और उत्साह से भर देती है।

इस किताब की इतनी खूबियां हैं कि अगर हर एक खूबी पर चर्चा किया जाए तो शायद यह कलम कई पन्नो को रंगीन कर दे, लेकिन मैं यहां यही कहूंगा कि सूर्य को यह बताने की कोई आवश्यकता नहीं कि वह सूर्य है। इस किताब के लेखक और वह व्यक्ति जिनके बारे में मैं अभी चर्चा कर रहा था वह कोई और नहीं बल्कि मेरे इलाके के युवा जिनको देश कुमार संदीप मिश्रा के नाम से जानती और पहचानती है। मैं कामना करता हूं कि यह पुस्तक पाठकों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बहुमूल्य साबित हो और ईश्वर कुमार संदीप जी के इस प्रयास को सफल बनाएं और समाज को उत्कर्ष बनाने की उनकी इस मनोकामना को पूर्ण करें।

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