विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार, अन्य छात्रों के अंक पत्रों को महीने के अंत तक (By end of this month) संबंधित कॉलेजों में भेजने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इससे उन छात्रों को फायदा मिलेगा, जो Higher Education Admission या अन्य शैक्षणिक प्रक्रियाओं में अंक पत्र की वजह से परेशान थे।
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परीक्षा और रिजल्ट का पूरा अपडेट:
स्नातक सत्र 2022–25 की Part-III परीक्षा का आयोजन 21 अगस्त से 3 सितंबर के बीच हुआ था। परीक्षा समाप्त होने के बाद छात्र लंबे समय से Result Declaration का इंतजार कर रहे थे। विश्वविद्यालय ने 30 नवंबर को Part-III का रिजल्ट तो जारी कर दिया, लेकिन अब तक सभी छात्रों का अंक पत्र जारी नहीं हो सका था।
इसी कारण कई छात्र दूसरे विश्वविद्यालयों और संस्थानों (Other Universities & Institutes) में एडमिशन ले चुके हैं, जहां Original Marksheet / Final Marksheet जमा करना अनिवार्य है। ऐसे में छात्रों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही थी।
विशेष परिस्थिति में मिल रही मार्कशीट:
विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि जो छात्र Admitted Students हैं और जिनसे संबंधित संस्थान ने अंक पत्र मांगा है, वे साक्ष्य के साथ आवेदन कर सकते हैं। ऐसे मामलों में विश्वविद्यालय Special Approval Process के तहत अंक पत्र उपलब्ध करा रहा है।
मुंबई स्थित IIT Mumbai में एडमिशन लेने वाले एक छात्र ने जब परीक्षा नियंत्रक से मिलकर अपनी समस्या बताई, तब इस प्रक्रिया को लेकर त्वरित निर्देश जारी किया गया। परीक्षा नियंत्रक डॉ. राम कुमार ने संबंधित सेक्शन को तत्काल अंक पत्र जारी करने का आदेश दिया।
अन्य छात्रों के अंक पत्रों को महीने के अंत तक कॉलेजों में भेजा जाएगा:
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि इस महीने के अंत तक (Before month-end) सभी कॉलेजों में अंक पत्र भेजने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। वहीं, जिन छात्रों के Pending Result Correction या अन्य सुधार से जुड़े आवेदन हैं, उन्हें संबंधित कॉलेज में ही आवेदन जमा करने को कहा गया है।
विश्वविद्यालय ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि छात्रों के आवेदन विशेष दूत (Special Messenger) के माध्यम से परीक्षा विभाग तक भेजे जाएं, ताकि Result Correction और Marksheet Dispatch समय पर पूरा किया जा सके।
छात्रों को बड़ी राहत:
इस फैसले से उन छात्रों को बड़ी राहत मिली है, जो अंक पत्र के अभाव में Admission Confirmation, Document Verification और अन्य शैक्षणिक प्रक्रियाओं में अटके हुए थे। विश्वविद्यालय के इस कदम को छात्रों के हित में एक Student-Friendly Decision माना जा रहा है।




