BRABU News
सुन,हे अत्याचारी !
बदुआ तेरे साथ गई,
सुहागनों की भी अरमान गई,
तूने मारा उसे उसके पतिदेव के सामने,
अब उस पतिव्रता की आह गई।
जिस इस्लाम के नाम पर तूने हथियार उठाया,
उसी ने तुझे इंसानियत का पाठ पढ़ाया।
कलमा न पढ़ने पर जिसको मारा था तूने,
अब तेरी भी मौत तुझसे ही टकराई।
धर्म-अधर्म का फर्क,
अब कुरान ने खुद बतलाया,
हे निष्ठुर!
तेरी औकात, तेरी ही करनी ने दिखलाया।
हर रोज़ तू खौफ की चादर फैलाता है,
भाईचारे का मुखौटा पहन, ज़हर बरसाता है।
हिंदुस्तान में रह, पाकिस्तान का गीत गाता है,
यहां की रोटी खाकर, देश को गाली देता है।
तू नमक हराम, तू गद्दार,
भारत माँ का नालायक औलाद,
दलाल बनकर देश का भेद बताता है,
फिर मासूमों की लाशों पर जिहाद मनाता है।
अब बहुत हुआ!
धैर्य की सीमा टूटी है,
तेरे हर ज़ुल्म का हिसाब
अब वीरों की विधवाओं ने छूटी है।
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अब आमने-सामने की जंग होगी,
तेरे हर वार पर सीधा प्रहार होगा।
हर उजड़ा सिंदूर अब शौर्य की मशाल बनेगा,
तेरे अंधकार में जलता एक-एक सवाल बनेगा।
जितनी मासूम जानें तूने छीनी हैं,
हर एक की चीख अब आग बनेगी,
हर एक स्त्री का सिंदूर,
अब “शौर्य का सिंदूर” कहलाएगा।

अनोप भाम्बु (जोधपुर)